प्रगतिशील लेखक संघ के लेखकों की तहरीरों को पढ़ते हुए, संजय मुट्टू और समन हबीब ने “आसमां हिलता है जब गाते हैं हम” कार्यक्रम को रूप दिया, जो 13 अक्टूबर को स्टूडियो सफ़दर, दिल्ली में आयोजित किया गया।
1947 में एक तरफ़ मुल्क़ का बटवारा हो रहा था और दूसरी ओर हिंदी-उर्दू का। इस हिंदी-उर्दू विवाद में मज़हब का सवाल भी कूद पड़ा। इस भाग में हम सुनेंगे प्रगतिशील लेखकों का इन दोनों विवादों को ले कर क्या कहना था।
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