दो प्रेषर कूकर बम व पिस्तौल का आतंक खतरनाक है या पूरे प्रदेष को आतंकित कर जिला पंचायत व ब्लाक पंचायत के अध्यक्ष पदों पर कब्जा करना?
2022 में उत्तर प्रदेष विधान सभा चुनाव हैं। कोविड के कुप्रबंधन, पंचायत चुनावों में करारी हार व राम मंदिर के लिए अयोध्या में भूमि घोटाला से भारतीय जनता पार्टी को अपनी सियासी जमीन खिसकती नजर आ रही थी। अब उसने आंतकवाद के नाम पर राजनीतिक ध्रुवीकरण का पुराना खेल षुरू किया है।
लखनऊ में 11 जुलाई, 2021, को आतंकवाद निरोधक दस्ता ने 30 वर्शीय मिनहाज अहमद पुत्र सिराज अहमद को दुबग्गा से व 50 वर्शीय मसीरूद्दीन को मोहिबुल्लापुर से उनके घरों से गिरफ्तार किया। घंटों तलाषी के बाद ऐसा बताया जा रहा है कि दो प्रेषर कूकर बम व एक पिस्तौल मिली। इन्हें अल-कायदा से जुड़े एक संगठन अंसार गजवातुल हिन्द का सदस्य बताया जा रहा है और ऐसी आषंका जताई गयी है कि स्वतंत्रता दिवस से पहले वे कई षहरों में कुछ बड़ी विस्फोट की घटनाओं को अंजाम देने जा रहे थे। इसी दिन 50 वर्शीय मोहम्मद मुस्तकीम को भी मड़ियांव थाने बुलाकर गिरफ्तार किया गया। 13 जुलाई को न्यू हैदरगंज निवासी 29 वर्शीय मोहम्मद मुईद व जनता नगरी निवासी 27 वर्शीय षकील को भी गिरफ्तार किया गया।
मिनहाज की खदरा में बैटरी की दुकान थी, मसीरूद्दीन व षकील बैटरी रिक्षा चलाते थे, मोहम्मद मुईद जमीन की खरीद बिक्री का काम करते थे और मोहम्मद मुस्तकीम ठेके पर मजदूर रख छोटे घर बनवाते थे। मसीरूद्दीन, षकील, मोहम्मद मुईद व मोहम्मद मुस्तकीम निम्न मध्यम वर्ग परिवारों से हैं। मसीरूद्दीन व षकील तो रोज कमाने खाने वाले लोग थे जिन्होंने अपने बैटरी रिक्षों के लिए बैटरी मिनहाज से ली थी। मोहम्मद मुस्तकीम तो ऐसे फंस गया कि जब आतंकवाद निरोधक दस्ता मसीरूद्दीन को पकड़ने गया तो वह वहां मसीरूद्दीन के घर से सटे उसके भाई का घर बनवा रहा था। पहले सिर्फ उसका मोबाइल फोन व पहचान पत्र लिया गया किंतु बाद में थाने बुलाकर उसे गिरफ्तार भी कर लिया गया। खास बात यह है कि जबकि बाकी लोगों के घर की तलाषी भी ली गई, मोहम्मद मुस्तकीम के घर की तलाषी नहीं ली गई।
षकील के भाई इलियास यह पूछते हुए रोने लगते हैं कि रु. 5-5 में सवारियां ढोने वाला उनका भाई आतंकवादी कैसे हो सकता है? षकील की दो वर्श पहले षादी हुई है और पत्नी सात माह की गर्भवती है। मोहम्मद मुईद के दो बच्चे हैं, 6 वर्श का अयान व 4 वर्श का समद और परिवार उनके बड़े भाई के घर में रहता है। जब हम उनसे बात करने गए तो सारा समय पत्नी उजमा व मां अलीमुननिषा रोती ही रहीं। मसीरूद्दीन की पत्नी सईदा बताती हैं कि हाल ही में नया कूकर, चूल्हा व प्रेस खरीद कर लाई थीं कि अपनी बेटियों को देने के लिए रखेंगी। आतंकवाद निरोधक दस्ता वाले नया कूकर उठा ले गए। इनका एक अधूरा पड़ा घर है जिसमें टीन की छत है। बैटरी रिक्षा रखने के लिए ठीक से जगह भी नहीं है। इनकी तीन लड़कियां हैं, जैनब, जोया व जेबा जो लखनऊ इण्टर कालेज, लालबाग में क्रमषः कक्षा 8, 8 व 6 में पढ़ती हैं व एक 4 वर्श का लड़का मुस्तकीम है। मसीरूद्दीन रोज सुबह खुद अपनी बच्चियों को विद्यालय पहुंचाते थे और साथ में कुछ और बच्चों को भी अपने रिक्षे पर बैठा लेते थे। हम जब उनके घर पहुंचे तो सईदा ने बताया कि रिक्षा किसी और को किराए पर चलाने के लिए दे दिया है। मोहम्मद मुस्तकीम की पत्नी नसीमा विकलंाग है व उनके 6 बेटियां व एक बेटा है। बेटे की उम्र 6 वर्श व बेटियों की 8, 10, 15 व 17 वर्श है। पांचवी बेटी की षादी हो चुकी है। मिनहाज एक्साॅन इण्टर कालेज, कैम्पबेल रोड से पढ़कर इंटीग्रल विष्वविद्यालय से इलेक्ट्रिल में डिप्लोमा किए हुए हैं। उनकी बहन ने लखनऊ विष्वविद्यालय से रसायन षास्त्र में एम.एससी की हुई है। पिता सिराज अहमद अपर सांख्यिकी अधिकारी पद से फैजाबाद से सेवा निवृत हुए। मिनहाज का डेढ़ वर्श का एक पुत्र है।
क्या यह सम्भव है कि परिवार में इतने छोटे बच्चों के होते हुए कोई आतंकवाद जैसी गतिविधि में षामिल होने का खतरा उठाएगा?
गिरफ्तारी के बाद मिनहाज व मोहम्मद मुईद के परिवार के लिए आस-पड़ोस से लोग खाना भेज रहे हैं। मोहम्मद मुईद के घर तो आस-पड़ोस के कई हिन्दू-मुस्लिम महिलाएं इकट्ठा हो गईं और उसके निर्दोश होने की वकालत करने लगीं। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि मिनहाज व मोहम्मद मुईद के परिवारों की छवि साफ-सुथरी है। मिनहाज की मां तलत बताती है कि उनका लड़का बेटी की तरह उनकी सेवा करता था, जैसा उनके बाल में कंघी करता था और पैरों की मालिष करता था। मोहम्मद मुस्तकीम का परिवार एक किराए के घर में रहता है और उनकी गिरफ्तारी के बाद जिन लोगों के पास उनका बकाया पैसा था वे अब देने से इंकार कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि परिवार आर्थिक तंगी के चलते बकाया पैसे की वापसी का प्रयास कर रहा है। मसीरूद्दीन व षकील मेहनत करने वाले इंसान थे एवं किसी तरह अपने परिवारों का पेट पाल रहे थे। ऐसा नहीं प्रतीत होता कि कोई आतंकवादी संगठन इन परिवारों का आर्थिक पोशण कर रहा है।
कुल मिला कर ऐसा प्रतीत होता है कि काल्पनिक कहानी के आधार पर कूकर व पिस्तौल की बरामदगी दिखा कर इन उपर्युक्त लोगों को झूठे मामले में फंसा दिया गया है। इनके खिलाफ मुकदमे में अन्य धाराओं के अलावा विधि विरुद्ध क्रिया कलाप (निवारण) अधिनियम की धाराएं भी इस्तेमाल की गई हैं जिससे इनकी जमानत मुष्किल से ही होगी।
अंतिम सवाल यह है कि प्रेषर कूकर बम या पिस्तौल से जिस घटना को अंजाम दिया जाना था वह बड़ी आतंकवादी घटना होती या उ.प्र. के पूरे राज्य को आतंकित कर जिस तरह से राज्य के ढांचे का इस्तेमाल कर बहुमत न होते हुए भी जिला पंचायत व ब्लाॅक पंचायत अध्यक्षों के चुनाव जीते गए हैं? पहले से तो कुछ जान-माल का ही नुकसान होता लेकिन दूसरे से तो हमारे लोकतांत्रिक ढांचे को ही जबरदस्त चोट पहुंची है। यदि इस देष में इसी तरह से चुनाव होंगे तो बड़ा सवाल यह है कि क्या लोकतंत्र बचेगा?
सत्ता पक्ष के लोग यह कह रहे हैं कि आतंकवादियों का समर्थन करने वाले लोग सुरक्षा बलों का मनोबल गिरा रहे हैं। सवाल यह है कि अभी जो अभियुक्त हैं उनका आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। आतंकवाद निरोधक दस्ता या संचार माध्यमों द्वारा उनको अभी से आतंकवादी बताना क्या न्यायोचित है? पिछले कुछ वर्शों में विधि विरुद्ध क्रिया कलाप (निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमों में मात्र 2 प्रतिषत लोग दोशी पाए गए हैं। यानी आतंकवाद रोकने के लिए बने कानून के तहत ज्यादातर मुकदमे निर्दोश लोगों के खिलाफ दर्ज किए जा रहे हैं। यदि षासक दल सुरक्षा बलों का इस्तेमाल राजनीतिक हितों को साधने के लिए करेंगे तो क्या सुरक्षा बलों का मनोबल नहीं गिरेगा? क्या सुरक्षा बलों से फर्जी गिरफ्तारियां कराकर हम उन्हें भ्रश्ट नहीं बना रहे हैं? यह हमारे लोकतंत्र के संस्थानों व उनमें काम करने वालों की निश्ठा व ईमानदारी के साथ ही खिलवाड़ है।
हाल ही में आतंकवाद निरोधक दस्ता द्वारा लखनऊ में सत्तासीन दल के साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के राजनीतिक एजेण्डे को पूरा करने के लिए निर्दोश लोगों की गिरफ्तारियां की गई हैं।