कुछ और अलगू, कुछ और जुम्मन में प्रेमचंद की वे कहानियां संकलित हैं, जो हिंदू और मुस्लिम कट्टरपंथ पर कड़ा प्रहार करती हैं। इनमें प्रेमचंद बताते हैं कि सांप्रदायिकता किस तरह समाज को खोखला बना देती है।
डॉ. प्रेम तिवारी हिंदी के वरिष्ठ आलोचक हैं। कथा साहित्य में उनकी गहरी रुचि है। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर और जनवादी लेखक संघ, दिल्ली के सचिव हैं। संजय कुंदन कवि-कथाकार और नाटककार हैं। वह वाम प्रकाशन में संपादक के रूप में कार्यरत हैं।
वाम प्रकाशन के इस आयोजन में डॉ. प्रेम तिवारी से संजय कुंदन की बातचीत।