नई दिल्ली स्थित इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) द्वारा वर्ष 2021-22 इस शिक्षा वर्ष से ज्योतिष विषय पर दो वर्ष का मास्टर्स पाठ्यक्रम (एम. ए. ज्योतिष) शुरू करने का निर्णय लिया है। इग्नू ने कहा है की ग्रह तारों का मानवी जीवन पर होने वाला असर, पंचांग, मुहूर्त, कुंडली और ग्रहण वेध आदि विषयों की जानकारी छात्रों को करा देने हेतु इस पाठ्यक्रम का आरंभ किया जा रहा है।
इस से पहले देश के भाजपा प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा वर्ष 2001 में यूजीसी के माध्यम से ज्योतिष विषय पर पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया गया था। वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. जयंत नारलीकर, प्रो. यशपाल और देश के अन्य प्रमुख वैज्ञानिकोंने इस निर्णय का सार्वजनिक रूप से विरोध किया था, इस कारण उस समय वह निर्णय सरकार को निरस्त करना पड़ा था। इस से पूर्व लगभग 25 वर्ष पहले अमरीका के विश्व स्तरीय ‘द हयूमनिस्ट’ मासिक पत्रिका के सितंबर-अक्तूबर 1975 के अंक में डॉ. एस. चन्द्रशेखर और अन्य अठारह नोबल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिकों सहित कुल 186 प्रख्यात वैज्ञानिकों ने हस्ताक्षर कर के फलज्योतिष के विरुद्ध निवेदन प्रसिद्ध किया था। अत्यंत लंबी दूरी पर स्थित तारे या ग्रह मानवी जीवन पर प्रभाव डालते है, यह असत्य है तथा फलज्योतिष के अनुमानों का कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है, इस बात का जिक्र उन के द्वारा दृढ़ता के साथ किया गया था।
महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिती पिछले तीस वर्षों से खगोल विज्ञान का प्रसार कर रही है। इतना ही नहीं, फलज्योतिष का खोखलापन प्रबोधन के माध्यम से समाज के सामने निरंतर प्रस्तुत करती आ रही है। वैज्ञानिकों द्वारा ज्योतिष के विरुद्ध जो भूमिका ली गयी है उस से महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति सहमत है तथा संबन्धित पाठ्यक्रम का कड़ा विरोध करती है। एक ओर भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इस्रो) युवा वर्ग को साथ ले कर चंद्र या मंगल की ओर उड़ान भरने के लिए प्रयास कर रहा है और दूसरी ओर इग्नू जैसा मशहूर विश्वविद्यालय समाज के कुछ चुनिन्दा लोगों के निहित स्वार्थ का जतन करने हेतु युवाओं को ज्योतिष की डिग्री बहाल करते हुए, समाज को मंगल दोष और शनि के साढ़ेसाती में फँसाने और छुड़ाने वाला है। यह बात तो संविधान के खिलाफ है। इस प्रकार समाज को अंधविश्वास की खाई में धकेलने वाले इस निर्णय का समिती कड़ा विरोध कर रही है। शिक्षा से ज्ञान प्राप्त हो जाता है इस बात पर हमारा दृढ़ विश्वास है। लेकिन ज्ञानदान का पवित्र कार्य करनेवाले इग्नू जैसे विश्वविद्यालय द्वारा समाज को अंधविश्वास की गहरी खाई में धकेलने वाली शिक्षा देना यह सरकार का प्रतिगामी कार्य है। विश्व स्तर पर ज्योतिष विषय के लिए कोई भी वैज्ञानिक या सैद्धांतिक आधार नहीं है। ऐसा निराधार असंगत और विसंगति पूर्ण पाठयक्रम विश्वविद्यालय आरंभ ना करें। जिन के नाम से यह विश्वविद्यालय चलाया जा रहा है, वें भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी अत्यंत प्रगतिशील और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार चलने वाली नेता थीं। वें अगर जीवित होतीं तो इस निर्णय का उन के द्वारा भी कठोर विरोध किया जाता।
कोरोना द्वारा निर्माण की गयी बेरोजगारी, आर्थिक समस्या इस से बाहर निकलने के लिए कोशिश करने वाले युवा वर्ग में इस प्रकार के अवैज्ञानिक, छद्म विज्ञान का रोपण करने का प्रयास करने वाले इग्नू द्वारा यह पाठ्यक्रम तत्काल वापस लिया जाय, यह मांग हम करते हैं।
अविनाश पाटील
राज्य कार्याध्यक्ष
महाराष्ट्र अंधश्रध्दा निर्मूलन समिती.