ट्रॉली टाइम्स तो आपने पढ़ लिया होगा, अगर नहीं, तो अब ट्रॉली टॉकीज़ देख सकते हैं। किसानों के संघर्ष को, उनके आंदोलन को अब अख़बार के बाद सिनेमा के जरिये भी पेश किया जा रहा है। इसके दो मकसद हैं। एक तो वही क्योंकि सिनेमा सब तक पहुंचने का एक सशक्त माध्यम है, दूसरा जो लोग अख़बार नहीं पढ़ सकते वो सिनेमा के जरिये आंदोलन क्या है, क्यों है, क्या मुद्दे हैं, क्या प्रेरणा है। इसे देख समझ सकते हैं। ट्रॉली नाम क्यों जोड़ा गया ये तो आपको पता ही है क्योंकि ट्रैक्टर-ट्रॉली ही किसान की पहचान है ये पूरा आंदोलन ट्रॉली के साथ जारी है। तो ये ट्रॉली टॉकीज़ दिन ढलने के साथ यानी जब मुख्य स्टेज पर सभा और अन्य कार्यक्रम ख़त्म हो जाते है, तब उसके बाद शाम 6.30 बजे शुरू किया जाता है। दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर हमने नए साल के मौके पर ट्रॉली टॉकीज़ की टीम से बात की