एक दफ़ा एक लड़के ने कूड़े के ढेर से केले का छिलका उठाया। वो उस केले के छिलके को खाने ही वाला था कि एक गाय ने उस छिलके को लड़के के हाथ से छीन लिया। लड़के को बुरा लगा, उसने गाय को धकेल दिया। गाय, रोते–चिल्लाते हुए, सड़कों पर दौड़ने लगी। अचानक से एक भीड़ वहाँ जमा हो गई।
“तूने गौ माता को मारा?” भीड़ ने लड़के से पूछा।
“नहीं, मैंने मारा नहीं। मैं केले का छिलका खा रहा था, गाय ने उसे छीन लिया, इसलिए मैंने उसे धक्का दिया।“
“किस धर्म का है तू?” भीड़ ने सवाल किया।
“धर्म? वो क्या होता है?” लड़के ने मासूमियत से पूछा।
“तू हिन्दू है या मुसलमान? या ईसाई है? साले, तू मंदिर जाता है, या मस्जिद?”
“मैं… मैं कहीं नहीं जाता!” लड़के ने कहा।
“तो तू पूजा नहीं करता?”
“मैं कहीं नहीं जाता। मेरा पास कपड़े नहीं हैं। मेरी पैंट फटी हुई है।“
भीड़ ने आपस में कुछ बात की, फिर लड़के की तरफ़ बढ़ी।
“तू पक्का मुसलमान है! तूने गौ माता को चोट पहुँचाई है!”
“ये गाय क्या आपकी है?” लड़के ने सवाल किया।
भीड़ ने लड़के को गर्दन से पकड़ा और उसे उसी कूड़े के ढेर में फेंक दिया।
और एक सुर में कहा, “ॐ नमः शिवाय! ॐ नमः शिवाय!!