कारवान-ए-मोहब्बत की पेशकश “तथ्य” के इस भाग में, प्रोफेसर अपूर्वानंद गांधी के जीवन के आखरी दिनों का स्मरण करते हैं जो उन्होंने देश में जाति और धार्मिक समानता के लिए उपवास पर बैठ के गुज़ारे थे। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मार कर गाँधी की हत्या कर दी थी। अपूर्वानंद हमें याद दिलाते हैं कि गोडसे केवल एक नाम नहीं है, नाथूराम गोडसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संग की विचारधारा का प्रतिनिधि है, उस विचार का प्रतीक है जो मानता है कि भारत सिर्फ़ हिन्दुओं का है।
आज, महात्मा गाँधी के मारे जाने के 71 साल बाद, गांधी की अंतिम लड़ाई को याद करना हर भारतीय के लिए महत्वपूर्ण है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत एक ऐसा देश बना रहे जिसमें मुसलमान और बाक़ी सभी अल्पसंख्यक सुरक्षित महसूस करते हों। अपूर्वानंद की श्रद्धांजलि हमें उस भारत की याद दिलाती है जिसका निर्माण हमें करना चाहिए, एक ऐसा भारत जहाँ गांधी हमेशा जीवित रहेंगे।