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चल-चल घोड़े गाँधी की चाल

byICF Team
October 29, 2018
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छवि सौजन्य: फ्रैंक मैरिनो बेकर

गाँधी जी
आपने
“मैं तो सीधी-सीधी बात करने वाला आदमी हूँ … "
कहा
लेकिन
कभी ऐसा दिखा नहीं

गाँधी जी
आप तो
सब जानते थे
आपने अछूत्तोधर छोड़
वर्ण व्यवस्था ही
मिटाने की बात कही होती
अम्बेडकर का
थोडा सा साथ दिया होता
तो
आज
कम से कम ये दलित
इकट्ठे तो होते
कंधमाल और खैरलांजी
और ना जाने ऐसे ही
कितने दंगो का
सामना तो किया होता

गाँधी जी
आप कहते थे
या आप इन शब्दों से प्रेरित दिखे
कि
"कोई एक गाल पर मारे
तो दूसरा गाल आगे कर दो"
मेरे ख्याल से आपने
अहिंसा के आड़ में ये
इन्हीं दलितों के लिए ही
कहा होगा

गाँधी जी
यह होता है
कमजोर को कमजोर
बनाये रखने का तरीका
कोई भी ताकतवर इंसान
कभी भी दूसरा गाल
आगे नहीं करता

गाँधी जी
आप यहीं पर नहीं रुके
आपने आगे कहा
बुरा मत देखो
बुरा मत कहो
बुरा मत सुनो
यह बात
कमजोर और ताकतवर
दोनों जातियों पर लागू हुई
और इसने मदद की
जैसा आप हिंदू धर्म चाहते थे
वैसा उसे बनाये रखने में

गाँधी जी
पीड़ी दर पीड़ी
एक जाति से टट्टी उठवाना
कितना बुरा है!!
और उन्हीं की बस्ती में जाकर
आपने कह दिया
बुरा मत देखो, बुरा मत कहो, बुरा मत सुनो
आप यह कैसे कर सकते थे?

प्रिय गाँधी जी
आपको मालूम है
आपके लोगों ने
सरकार के पैसे पर
बहुत ही अच्छे से लिखा है
आपका इतिहास
और फैलाया है उसे
देश विदेश में

गाँधी जी
भारत ही नहीं
दुनिया भर में
ताकतवर सरकारें
ताकतवर लोग
यही करवाते आये हैं
इस स्थिति में
कमज़ोर लोगों के पास
जिनका कोई इतिहास
नहीं लिखा गया होता
उनके पास
शब्द नहीं
शब्दों के बीच की बारीकी
को पकड़ने के अलावा
कोई चारा नहीं होता
इस पर
आपके चेले चपाटे कहते है
कि हम
फ़िज़ूल का interpretation/अर्थ
निकाल रहे हैं

गाँधी जी
क्या यही सत्य का रास्ता था आपका?

गाँधी जी
आप भी मुझे
मनु के वंशज जान पड़ते है
ये अछूत जैसे नाम
आप लोगो की ही देन है

गाँधी जी
आप
वर्णव्यवस्था वादी थे
आपने रामराज्य की कामना की
जहाँ सब
जन्म-जन्मान्तर तक
बस अपने
जात के काम
और नाम से खुश रहे
किसी को कुछ दुःख नहीं होगा
कहा
इसने भी
मूलनिवासियों को
अछूत बनाये रखने में काफ़ी मदद करी

गाँधी जी
काश आप
झाँक लिए होते
अपने गिरेबान में
एक बार भी

गाँधी जी
मंदिरों में
देवदासियों के
पंडित-पुजारियों द्वारा
यौन शोषण से हुए बच्चों
को हरिजन नाम दिया गया था
और आपने
पूरी दलित जमात को ही
हरिजन नाम दे दिया
ऐसा कर आपने इन्हें
भाग्यवादी बनाया
लोगों की दया का मोहताज़ बनाया
और इन्हें अलग-अलग
टुकड़ों में बंटने में मदद की
हरिजन
मतलब हरी के जन
मतलब भगवान के बच्चे
मतलब जिनके बाप का पता नहीं
मतलब नाजायज़ औलाद
हरिजन
“इतना सुन्दर नाम”
आपने ही कहा
आपने अपने नाम के
आगे पीछे क्यों नहीं लगा लिया

गाँधी जी
इतना कुछ करने पर
आप दलितों की सजा के पात्र
क्यों नहीं होंगे?

भंगी को भी
बहुत सुन्दर
नाम बताने से पहले
आपने अपना शब्दकोश
तो ज़रूर खोला होगा
भंगी
भग धातु से लिया हुआ
जिसकी अपनी
कोई विशेषता नहीं होती
ना कोई पॉजिटिव
ना कोई नेगेटिव चार्ज होता इस पर
यह नाम भी
आपको बहुत सुन्दर दिखा
और फिर से
इन्हें ही दे दिया
तो जब आप
एक ही आदमी के
इतने टुकड़े करगे
तब कोई आपको कैसे माफ़ कर सकता है

गाँधी जी
आपको बुरा तो लगता ही होगा
जब आपको
आपके ही ज़माने म
जूतों की मालाएं चढ़ती होंगी!!

गाँधी जी
आपको आपकी राजनीती की
रोटी सेकनें के लिए
और अपना उल्लू
सीधा करने के लिए
ये पीड़ित लोग ही मिले थे?

गाँधी जी
आप तो जानते है
हर एक बात के दो पहलू होते है
मैंने
अभी तक आपकी बातों का
दूसरा पहलू बताया
अब आपकी धोती
आप सिर्फ
एक धोती पहन कर
क्या कहना चाहते थे
जिनके पास पहले से कुछ नहीं था
उनको और ये सन्देश दे दिया
नंगे रहो
बस एक ही धोती पहनो
अब एक धोती पहनने वाला बताएगा
पूरे कपड़ो की अहिमयत
इतिहास गवाह है
आधा नंगा रहने वाला
कभी सामाजिक प्राणी नहीं कहलाया
कभी उसे बराबर का दर्ज़ा नहीं मिला

गाँधी जी
आपने अहिंसा का रास्ता चुना
लेकिन
अधिकार मांगने से नहीं
छीनने से मिलते हैं

गाँधी जी
आप सच में एक कायर आदमी थे
अगर कायर ना होते
तो
आज घोड़े को भी
हिटलर के बजाए
आपका नाम लेकर कहा जाता
चल चल घोड़े गाँधी की चाल

गाँधी जी
दलित आज़ादी आन्दोलन के
आप सबसे बड़े बाधक थे
और आज भी हैं
आप नहीं हैं योग्य
हमारे बीच नाम लिए जाने के भी


 

धम्म दर्शन निगम एक दलित अधिकार कार्यकर्ता, शोधकर्ता और कवि हैं। वह सफाई करमचारी आंदोलन के लिए काम करते हैं।

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