‘मोर्चे पर कवि’ है पहल कुछ कविताग्रस्त देशवासियों की, और इसका मुख्य लक्ष्य है जनसाधारण तक कुछ जलते मुद्दों को पहुँचाना, साथ ही उन्हें आतंक और सांप्रदायिकता के अत्याचार के विरुद्ध संवेदनशील बनाना I 28 नवंबर को दिल्ली के सेंट्रल पार्क में आयोजित ‘मोर्चे पर कवि’ के दूसरे संस्करण में कही गयी कविताओं का विषय थे फिलिस्तीन, बेरूत, पॅरिस समेत दुनिया भर में आतंक की बलि चढ़े निर्दोष लोग I फ्रांस में बसीं सीरीयन कवयित्री मराम अल मसरी की कविताओं से लेकर अवधी के जुमले ‘कैसे बचि हो’ पर आधारित गीत का पाठ हुआ I कविता और उसकी विद्रोही क्षमता का खूब इस्तेमाल किया गया I