फ़िलिस्तीनियों को उनके ही देश से खदेड़ने की कार्यवाही अल नकबा से आज तक लगातार चल रही है। जेरुसलम के शेख़ ज़र्रा के इलाक़े से फ़िलिस्तीनियों को जबरन हटाए जाने के विरोध में जो प्रतिरोधात्मक कार्यवाहियाँ हुईं, उनका जवाब इज़राइल की सेना यह हमला करके दे रही है। इज़राइल पूर्वी जेरुसलम पर पूरा क़ब्ज़ा बनाना चाहता है। गाज़ा पट्टी पर इज़राइली सेना का हमला जारी है। सैकड़ों फ़िलिस्तीनी घायल हुए हैं और मारे गए हैं। रिफ़्यूजी कैम्पों पर हुए हमलों में अनेक औरतें और मासूम बच्चे भी मारे गए हैं और कई मलबे में दफ़न हो गए हैं।
जन नाट्य मंच का फ़िलिस्तीनी आवाम और उसके मुक्ति संघर्ष से एक सक्रिय और अटूट रिश्ता है। इज़राइली क़ब्ज़े और नस्लभेद के ख़िलाफ़ जेनिन के फ़्रीडम थिएटर के साथ जन नाट्य मंच सांस्कृतिक प्रतिरोध में शामिल है। आज जब फ़िलिस्तीन पर यह हमला हो रहा है जन नाट्य मंच देश के सांस्कृतिक कर्मियों से और आम जनता से इस अमानुषिक हमले के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ को बुलंद करने की अपील करता है। जहाँ साम्राज्यवादी मीडिया इस हमले को सही क़रार देने में लगा है वहीं दुनियाभर के अनेक शहरों में हज़ारों लोगों ने इज़राइल के इस हमले के ख़िलाफ़ और फ़िलिस्तीनी जनता के हक़ में अपनी आवाज़ उठाई है। कोविड -19 के इस दौर में इज़राइली सरकार अपनी नस्लभेद नीतियों के तहत फ़िलिस्तीनी आवाम को इलाज और वैक्सीन आदि से तो पहले ही वंचित रखे हुई थी, ऊपर से यह हमला जो किसी नरसंहार से कम नहीं।
बावजूद इसके फ़िलिस्तीनी जनता के आज़ादी के ख़्वाब को इज़राइली हमले कभी ख़त्म नहीं कर पाएँगे। फ़िलिस्तीनी कवयित्री फ़दवा तुकान इस ख़्वाब की दृढ़ता को शब्दों में उतारते हुए कहती हैं –
तुम हमेशा ज़िंदा रहोगे मेरे प्यारे वतन
चाहे कितना भी दले दर्द
और यंत्रणा की चक्की में
ज़ुल्म के इस जंगल से
वो कभी भी नोंच नहीं पाएँगे
तुम्हारी आँखें और
कुचल नहीं सकेंगे
तुम्हारी उम्मीद और ख़्वाब को।
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