इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पेचीदा राजनैतिक और सामाजिक जटिलताओं के बीच मनाया जा रहा है. जहां एक ओर सरकार और मनुवादी-पितृसत्तात्मक समाज के आघात महिलाओं पर बेलग़ाम जारी हैं, वहीँ सामाजिक चेतना और बदलाव, संविधान की रक्षा और संगति के लिए देशव्यापी संघर्षों में महिलाओं ने शानदार हिस्सेदारी और नेतृत्व का प्रदर्शन किया है.
इस मौके पर ICF की अपर्णा ने जगमती सांगवान से बातचीत की. जगमती कई दशकों से प्रगतिशील और महिला आंदोलनों से जुड़ी रहीं हैं, और हरयाणा में खाप पंचायत की जातिवादी हिंसा के ख़िलाफ़ ज़मीनी संघर्ष में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है. इस चर्चा में जगमती “लव-जिहाद” के प्रपंच, महिलाओं और दलित समुदाय के खिलाफ हिंसा में इज़ाफ़ा, पिछले बजट की नवउदारवादी नीतियों का महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक जीवन पर असर, महिला आंदोलन की प्रमुख मांगे और अन्य कई ऐसे कई मुद्दों पर विमर्श करती हैं.