ये ऐलान कर दिया गया है की हँसना – हँसाना सेहत के लिए घातक साबित हो सकता है। खासकर अगर आपका नाम मुनव्वर या फ़ारूकी से मिलता जुलता हो। अगर ज़िन्दगी के कीमती साल काट न देने हो, या उन्हें जेल में काटने से बचना हो तो हँसना निषिद्ध है।
लखनऊ की विख्यात कवियत्री कात्यायनी की लिखी गयी कविता का अनुसरण करें, और जानें की आज के माहौल में सौ साल तो क्या, इस साल भी ज़िंदा रहने के लिए क्या कुछ बंदोबस्त की ज़रुरत है। इसे दास्तानगो कफ़ील जाफ़री ने बयान किया हैं, कथनी के यथोचित गंभीरता के साथ।
ऐसी सिल बनें जिस पर
लगातार रस्सी आने-जाने से भी
ना पड़े कोई निशान।