योगी सरकार का अवैध धर्मांतरण कानून एक बार फिर एक ‘विवादित गिरफ्तारी’ को लेकर सुर्खियों में है। खबरों के मुताबिक बिजनौर जिले में अपनी एक नाबालिग दोस्त के साथ जन्मदिन पार्टी से लौट रहे मुस्लिम लड़के के खिलाफ इस नए कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है और वह लगभग एक हफ्ते से जेल में है।
हालांकि ये राज्य में कोई पहला नहीं है जब इस कानून के तहत किसी की गिरफ्तारी को लेकर सवाल उठे हैं, इससे पहले भी कई मामलों में कट्टर हिंदूवादी संगठनों की भूमिका और पुलिस-प्रशासन का दोहरा रवैया ख़बरों में रहा है।
क्या है पूरा मामला?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बिजनौर में 14 दिसंबर की रात 10:30 बजे एक नाबालिग दलित लड़की अपने पूर्व मुस्लिम क्लासमेट के साथ एक दोस्त के जन्मदिन से पैदल लौट रही थी। इस दौरान कुछ लोगों ने कथित तौर पर इन दोनों का पीछा किया, पूछताछ की। और जब यह साफ़ हो गया कि लड़का और लड़की अलग धर्म के हैं तो स्थानीय लोगों ने लड़के की पिटाई की और पुलिस स्टेशन भेज दिया।
इस मामले से जुड़ा एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो को लेकर कहा जा रहा है कि इस लड़के को भीड़ ने मारा-पीटा क्योंकि उसके चोर होने का शक था। और बाद में इस लड़के को विवादित धर्मांतरण विरोधी नियम के तहत गिरफ़्तार कर लिया गया। वीडियो में हिंसा होने के कारण हम उसे यहां नहीं दिखा रहे। आप चाहें तो यहां क्लिक करके देख सकते हैं।
लड़की का क्या कहना है?
इस मामले की अहम कड़ी 16 वर्षीय नाबालिग लड़की का कहना है कि इस मामले को बेवजह लव जिहाद का रूप दिया जा रहा है।
नाबालिग ने कहा, “मैंने यह मजिस्ट्रेट के समक्ष भी कहा है और दोबारा कहूंगी। कुछ लोगों को यह दिक्कत थी कि मैं अपने दोस्त के साथ जा रही थी। उन्होंने मेरा वीडियो बनाया और अब वे इसे लव जिहाद का नाम दे रहे हैं। मैंने कुछ गलत नहीं किया। मैं अपनी मर्जी से उसके साथ गई थी।”
लड़की के पिता के क्या आरोप हैं?
लड़की के पिता द्वारा कथित तौर पर दर्ज करवाए गए एफआईआर में कहा गया है कि आरोपी लड़के का इरादा लड़की से शादी करने और उसका धर्म परिवर्तन करने का था। हालांकि अब लड़की के पिता ने पुलिस से शिकायत करने की बात को खारिज़ करते हुए कहा है कि पुलिस ने उनसे ऐसा बयान लिखवाया है।
पिता का कहना है, “मुझे अपनी बेटी पर पूरा विश्वास है। उसने क्या गलत किया है? उसे राजनीति का हिस्सा क्यों बनाया जाना चाहिए? क्या एक लड़की और एक लड़के का एक साथ चलना गैरकानूनी है?”
राजनीतिक रंग देने की कोशिश
लड़की के पिता ने घटना को राजनीतिक रंग देने के लिए स्थानीय प्रधान को दोषी बताया है। उन्होंने कहा है कि यह सब राजनीति है। उन लोगों ने मेरी बेटी के वीडियो बनाए और झूठा दावा किया कि यह लव जिहाद का मामला है। मैं पहले प्रधान रहा हूं और अबकी फिर से चुनाव लड़ने की योजना बना रहा था। लेकिन उन लोगों ने मेरी बेटी का अपमान करके गांव का ध्रुवीकरण कर दिया है।
लड़की के पिता के आरोपों को गलत कहते हुए गांव के मौजूदा प्रधान ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि जब यह मामला मेरी नज़र में आया तब मैं लड़की के पिता के साथ था। मैंने उसे एफआईआर दर्ज करवाने में मदद की। वह प्रधानी के चुनाव में हार गया था।
पुलिस क्या कह रही है?
बिजनौर पुलिस ने इस मामले को लेकर वीडियो ट्वीट किया है। जिसके मुताबिक 15 दिसंबर को धामपुर थाने में एक अभियोग पंजीकृत किया गया जो कि दो समुदायों के बीच का मामला था। आईपीसी की धारा 363 और 366, एससीएसटी एक्ट 325 और 351 उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन अध्यादेश के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
सबूतों के आधार पर एक अभियुक्त जेल भेजा गया है। यह ज्ञात हुआ है कि नसीरपुर में उस अभियुक्त को कुछ लोगों ने मारा-पीटा था, जिसका वीडियो वायरल है। इसको लेकर परिवार के लोगों से तहरीर लेकर अभियोग पंजीकृत किया जा रहा है। एसपी के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई है और अभियुक्तों की जल्द गिरफ़्तारी की जाएगी।
आरोपी लड़के के परिजन क्या कह रहे हैं?
जेल में बंद लड़के के परिवार की बात करें, तो उसके घर में उसके चार भाई-बहन और मां है। पिता की हृदय संबंधी बीमारियों से एक साल पहले मौत हो गई थी। लड़के का घर लड़की के घर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है।
लड़के की मां कहती हैं, “मैं बस अपने बेटे को दोबारा देखना चाहती हूं। पुलिस ने उसके खिलाफ गलत मामला दर्ज किया है।”
परिवार और पुलिस के बयान में अंतर
बता दें कि आरोपी लड़के को कई धाराओं के तहत जेल भेजा गया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट मुताबिक़ इसमें से एक धारा पॉक्सो भी है। पुलिस के मुताबिक लड़के की उम्र 18 साल है वहीं लड़के के परिवार वालों का कहना है कि वह 17 साल का है।
परिवार वालों के मुताबिक उनका बेटा नाबालिग है, लेकिन इसे साबित करने के लिए उनके पास कोई कागजात नहीं है क्योंकि उनके बेटे ने तीसरी कक्षा के बाद स्कूल छोड़ दिया था।
उनकी मां का कहना है, “14 दिसंबर की शाम को मेरा बेटा यह कहकर निकला था कि वह एक जन्मदिन पार्टी में जा रहा है और खाना वहीं खाएगा। अब वे उस पर एक लड़की का धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगा रहे हैं। यह पूरी तरह झूठ है।”
गौरतलब है कि प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के अवैध धर्मांतरण कानून के लागू होने के बाद से ही इसके तहत हो रही धड़ाधड़ एफ़आईआर, गिरफ्तारियां और इस संबंध में पुलिस की अतिसक्रियता पर एक के बाद एक कई सवाल उठ रहे हैं। कई मामले संदेह के घेरे में हैं तो वहीं कुछ में पुलिस पर दोहरा रवैया अपनाने जैसे आरोप भी लग रहे हैं। हालांकि महिलावादी संगठन, नागरिक समाज के लोग और कुछ जानकर पहले ही इस पूरे अध्यादेश को लाने के पीछे सरकार की असली मंशा पर सवाल उठा चुके हैं।