कला साहित्य के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुके दिल्ली प्रशासन में कलाध्यापक के पद पर कार्यरत, हीरालाल राजस्थानी न सिर्फ़ एक सुप्रसिद्ध मूर्तिकार हैं, वे एक कवी भी हैं और साथ ही में दलित लेखक संघ के अध्यक्ष भी।
जहां एक ओर भाजपा सरकार ने दिन-ब-दिन, किसान विरोधी और कॉर्पोरेट उत्थान की नीतियाँ ईजाद की हैं, वहीँ किसान आंदोलन ने अपना एका प्रदर्शित करते हुए, अपने हक़ों की मांग को बुलंद करते हुए, सरकार के टोकन आश्वासनों को ठुकराते हुए, सत्ता की राजधानी पर डेरा डालकर उसे चुनौती दी है।
हीरालाल राजस्थानी की नज़्म “ज़िंदाबाद किसान” आज के किसान आंदोलन का विजय गीत है।
उन्होंने जला दी है पराली के साथ
आश्वासनों की खरपतवार भी
वे लाठियों की बौछारों में
बो चुके हैं
अपने मजबूत इरादों के बीज
जो जल्द ही फूटेंगे
धूसर धरती के गर्भ से
हक़ों की लहलहाती फसलें बनकर।