हाथरस की दलित लड़की के बलात्कार-हत्या कांड में अपराधियों के अलावा यूपी प्रशासन भी गंभीर सवालों के कटघरे में है। शासन की विफलता ही नहीं, दलित लड़की के पार्थिव शरीर को रातोंरात जलाने के मामले में उसकी बर्बरता भी उजागर हुई है। सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक लोगों में आक्रोश है। नागरिक समाज और विपक्ष ने योगी सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल रखा है। शुक्रवार, 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन दिल्ली के जंतर-मंतर पर नागरिक समाज, छात्र, महिलावादी संगठन और कई राजनेताओं ने हाथरस की घटना के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त प्रदर्शन किया। ICF टीम की अपर्णा ने उत्तर प्रदेश की पूर्व सांसद और भाकपा की पोलिट ब्यूरो सदस्या सुभाषिनी अली से बातचीत की। सुभाषिनी स्पष्ट करती हैं कि क्यों ये घटना जातीय हिंसा है, और किस तरह से प्रशासन विचारपुर्वक तरीके से इसे ढंकने की कोशिश में लगा है।