I.
sisyphus at nizamuddin. the veiled sadness on a man’s face as he brings in one hand a bucket of dirty utensils, and in another the weight of the earth. sunlight drops on us like a curtain. the earth is spliced by a sunday. watch these men go about their lives the same way for years, the same day lived again and again for eternity.
निजामुद्दीन में सिसिफस
एक आदमी के चेहरे पर,
छिपा- छिपाया पर्दा दर्द का,
लाता हुआ एक हाथ में वह,
गंदे बर्त्तनों से भरी बाल्टी,
और दूसरे हाथ में,
भार पृथ्वी का।
धूप हम पर बरसता है ,
जैसे नीचे गिरता है कोई पर्दा।
पृथ्वी को जोड़ता है इक इतवार,
देखता हुआ इन इंसानों को ,
जीते हुए अपनी वही ज़िन्दगी सालों से ,
वही दिन जीते हुए,
बार-बार,
हर- बार,
अनंत से,
और अनंत तक।
II.
she. began talking about her life to all and sundry. he hated the word sundry, said she uses it a lot. she said it’s important to use it. people talk about their lives (to all and sundry) when they feel a great absence, and if i am still this way, why are you here?
उसने,
बतानी शुरू कर दी ,
बातें अपनी ज़िन्दगी की,
हर किसी से,
हर ऐरे-गैरे , नत्थू-खैरे से।
वह ,
नफरत करता था,
‘ ऐरे-गैरे ‘ शब्द से,
और कहता था कि,
वह बहुत इस्तेमाल करती थी इसका।
वह,
कहती कि बेहद जरुरी है ,
इस्तेमाल करना इसका।
लोग,
करते हैं बातें अपनी ज़िन्दगी की ,
हर किसी, हर ऐरे-गैरे, नत्थू-खैरे से,
जब वो महसूस करते हैं ,
एक भारी शून्यता अपने जीवन में।
और,
अगर हूँ मैं ऐसी ,
तब तुम क्यों हो यहाँ ?
III.
cafe. 4:00 PM, the trumpet slithers smooth fielding the nondescript room, fornicating with the comforting hum of the air conditioner. mellow-yellow lamps hang upside down like spiders. the spiders have gone home. there is a book on a table and next to it, a girl with a cup of jasmine tea. the scent engulfs one in its warmth. a couple walks in, the man looks at the girl, his gaze travels to her eyes, her mouth, her breasts, her thighs. the woman looks at her man, then at the girl, pointedly, disapprovingly. the girl is the villain.
कैफ़े,
शाम के 4 बजे,
तुरही की आवाज़,
सड़कती हुई आती है ,
और भर देती है गुमनाम कमरे को ,
कमरा,
जो मदमस्त सा ,
कर रहा है प्यार,
ऐरकंडिशनर के आरामदायक,
भिनभिनाहट के साथ।
नर्म-पीले लैंप,
लटके हुए हैं उल्टे,
मकड़ियों से,
मकड़ियां अपने घर लौट चुकी हैं।
टेबल पर पड़ी है एक किताब,
और बगल में उसके,
लड़की एक,
जास्मीन टी की कप के साथ,
महक जिसकी ,
खींच लेती है,
हर किसी को ,
अपनी गर्माहट में।
एक जोड़ा करता है प्रवेश भीतर,
आदमी देखता है लड़की की ओर,
नज़र उसकी दौड़ती है,
लड़की की आँखों की ओर,
उसके चेहरे की ओर,
उसके स्तनों की ओर ,
उसके जाँघों की ओर।
औरत,
देखती है अपने आदमी की ओर,
और फिर लड़की की ओर,
देखती है ,
धारदार शूल सी नज़रों से,
नाराज़गी से।
खलनायिका ,
है लड़की ही।
IV.
fog. 3:00 AM, it’s the same day, it’s the same girl, it’s night, morning, day, dusk, something. it’s twilight, hyperspace. time is an ice chamber. it stands far away. fog rolls in like a slow moving fan, its niqaab caught in the orange street lights, slowly breathing into the belly of the haze. it’s palpable, this fog billows with life. a figure emerges from the obscure mess, faintly visible, now emboldening, growing like a flower, here to receive her, a name she recalls, a face she doesn’t understand.
कोहरा,
सुबह के 3 बजे,
वही दिन है यह,
यह वही लड़की है,
यह रात है,
सुबह है,
है दिन,
है शाम,
है ये कुछ।
यह शाम का धुंधलका है,
है यह हाईपरस्पेस।
समय है,
कोठरी एक बर्फ़ की ,
वह दूर है , बेहद दूर है,
समय सड़कता हुआ आता है,
धीमे चलते हुए किसी पंखे सा,
निक़ाब उसकी उलझी हुई,
नारंगी स्ट्रीट लाइट की रौशनी में,
सांस लेता हुआ हौले-हौले,
धुंध के पेट में समाता हुआ।
लगता है मानो ,
कोहरा यह तरंगित है जीवन से।
इस अबूझ गड़बड़झाले से,
बाहर निकलती है एक आकृति,
अभी बेहद हल्की सी नज़र आती हुई,
और अभी ही मजबूत होती हुई,
खिलती हुई फूल सी,
उसे लेने के लिए आई हुई लड़की एक,
एक नाम, जो उसे याद है,
एक चेहरा, जो वह नहीं समझ पाती है।
V.
she makes a note. of the things he says, sometimes he says things like ‘it’s not talent, it just is’, or ‘our side is the far side’, or ‘the military is very precise in finding their target and launching drones in Kabul, but sometimes, you know, they miss’. she can never take him seriously. but his nose is beautiful, though he feels the contrary. she knows this will create situations where her integrity will be compromised, she allows herself to be carried as a child in the lap of despair. no, that’s what she tells herself. she jumps off a bridge into it, with a bungee harness on.
वह नोट बनाती है एक।
उन चीज़ों की जो कहता है वह ,
कभी वह कहता है बातें कुछ ऐसी –
‘यह प्रतिभा नहीं है, यह तो है बस’ ,
या,
‘हमारा छोर ही दूर है दूर का छोर’,
या,
‘सेना सटीक होती है ,
ढूंढने में अपना लक्ष्य,
और काबुल में ड्रोन छोड़ने में,
पर जानती हो,
कभी-कभी
छूट जाता है उनका निशाना ‘।
वह कभी नहीं ले पाती ,
उसे गंभीरता से।
पर, उसकी नाक है सुन्दर,
हालाँकि वह खुद सोचता है उल्टा।
वह जानती है कि,
यह बनाएगा ऐसी परिस्थितियाँ,
जहाँ ईमानदारी से अपनी,
करना होगा उसे समझौता,
वह छोड़ देती है अपने आपको,
बहा लिए जाने को,
आफत की गोद में सोये किसी बच्चे सी।
नहीं!
यह तो है ,
जो कहती है,
वह अपने आप को।
असल में तो,
पुल से नीचे,
कूद जाती है वह इसमें ,
तंगी हुई,
बंजी की मोती रस्सी के सहारे।
VI.
a house. with windy corridors, curtains pregnant with the monsoon wind.
घर एक ,
हवाई बरामदों वाला ,
पर्दे
जिनके गर्भ में हैं बीज ,
मानसूनी हवाओं के।
VII.
how to disappear. S says she remembers reading at the very beginning with the motive to escape, J thinks the most consistent pleasure is that to be seized by a book, as though one were seized by a lover, grabbed faultlessly, flamingly, fiercely for two days. rendered incapacitated and withdrawn, good for nothing. nothing but reading. so i learn that this
is how
you disappear
watched by none
always inside
a book
गायब कैसे हुआ जाए।
एस कहती है कि,
याद है उसे,
एकदम शुरुआत से ही पढ़ना,
गायब हो जाने की मंशा से,
जे को लगता है कि,
सबसे सतत आनंद है,
जब्त किया जाना एक किताब के द्वारा,
मानो जब्त किये गए हों हम एक प्रेमी के द्वारा ,
झपटकर पकड़े गए हों निष्कपट,
लपटों से,
तेज़, प्रचंड,
पूरे दो दिनों तक,
बना दिए गए हों,
बेजान से एकदम ,
किसी लायक नहीं ,
किसी लायक नहीं ,
सिवाय, पढ़ने के।
इस तरह मैं सीखती हूँ कि,
यह है वह तरीका,
जिससे तुम होते हो गायब,
नज़र रखता है कोई नहीं,
और मौजूद होते हैं हमेशा भीतर हम ,
एक किताब के।