मशहूर गायक और मैगसेसे अवार्ड के विजेता टीएम कृष्णा की हालिया किताब Sebastian and Sons पर पिछले दिनों विवाद शुरू हो गया। इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब तमिलनाडू के कलाक्षेत्र फ़ाउंडेशन ने किताब के लौंच को रोक दिया। किताब का लौंच 30 जनवरी को चेन्नई में स्थित कलाक्षेत्र फ़ाउंडेशन के रुक्मिणी अरंगम ऑडिटोरियम में होना तय था। लेकिन “संस्कृति” की रक्षा करने के मक़सद से कलाक्षेत्र फ़ाउंडेशन ने इस लौंच को होने से रोक दिया।
टीएम कृष्णा की यह किताब मृदंगम बनाने वाले दलित इसाइयों के बारे में है। किताब में बताया गया है कि मृदंगम को बनाने में गाय, बकरी की खाल का इस्तेमाल होता है।
वेस्टलैंड पब्लिकेशन को लिखे एक ख़त में कलाक्षेत्र फ़ाउंडेशन के डाइरेक्टर रेवती रविचंद्रन ने कहा, “कलाक्षेत्र फ़ाउंडेशन केंद्र सरकार के कला एवं संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आता है। हम किसी भी ऐसे कार्यक्रम को इजाज़त नहीं दे सकते जो सामाजिक या राजनीतिक अशांति फैलाने का काम करता है।”
कला एवं संस्कृति मंत्रालय एन श्रीनिवासन के नेतृत्व में चलता है, जो आरएसएस से संबद्ध स्कूल भी चलते हैं।
कलाक्षेत्र के डाइरेक्टर ने यह आपत्ति तब ज़ाहिर की जब किताब का एक हिस्सा द हिन्दू में छपा। इस हिस्से का नाम था “Keeping the cow and brahmin apart” किताब के इस हिस्से में बताया गया है कि कैसे मृदंगम बनाने के लिए गाय की खाल का इस्तेमाल किया जाता है।
दक्षिण भारतीय संगीत में मृदंगम का महत्व बहुत ज़्यादा है। और बाक़ी सभी वाद्ययंत्रों की तरह मृदंगम भी बरसों से चली आ रही सामाजिक संस्कृति का हिस्सा है।
“संस्कृति” को बचाने के नाम पर खड़े किए गए इस विवाद पर टीएम कृष्णा ने सवाल किया, “क्या कलाक्षेत्र मृदंगम बजाने पर भी प्रतिबंध लगा देगा?”
कलाक्षेत्र के इस फ़ैसले पर सभी बुद्धिजीवियों, कलाकारों, प्रगतिशील नागरिकों ने उसकी आलोचना की और कहा कि टीएम कृष्णा की यह किताब बेहद ज़रूरी है, और यह समाज की सच्चाई बयान करती है।
30 जनवरी को कलाक्षेत्र के प्रतिबंध के बाद 2 फरवरी को इस किताब का लौंच एशियन स्कूल ऑफ़ जर्नलिज़्म के ऑडिटोरियम में हुआ, जहां भारी संख्या में लोग जमा हुए।
वीसीके के नेता और लोकसभा सांसद थिरुवलवन ने कहा, “टीएम कृष्णा की किताब पर प्रतिबंध लगाने वाले मनु धर्म को मानने वाले लोग हैं।”
कांग्रेस के नेता पी चिदम्बरम ने भी इस क़दम की निंदा करते हुए लोगों से अपील की थी कि सभी भारी संख्या में 2 फरवरी को होने वाले लौंच में पहुँचें।
2 फरवरी को एसीजे में हुए बुक लौंच में टीएम कृष्णा मृदंगम बनाने वाले दलित इसाइयों को लेकर शामिल हुए।
टीएम कृष्णा ने अपनी किताब और सारे विवाद के बारे में कहा, “आप किताब की आलोचना कीजिये। अगर इस किताब से पाठक के मन में सवाल उठते हैं, तो किताब ने अपना काम कर दिया है।”
टीएम कृष्णा की किताब का लौंच कलाक्षेत्र द्वारा रोक दिये जाने से कई सवाल पैदा होते हैं। पिछले 6 साल की बीजेपी सरकार पर लगातार इल्ज़ाम लग रहे हैं कि इस सरकार में कलाकारों, बुद्धिजीवियों, लेखकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले किए जा रहे हैं। कलाक्षेत्र के इस क़दम को उन्हीं हमलों का अगला क़दम समझा जा सकता है।