8 फरवरी को होने जा रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए की जा रहीं प्रचार रैलियों और चुनावी बयानबाज़ी में नरेंद्र मोदी सरकार मुद्दों के अलावा हर चीज़ पर बात कर रही है। ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के सांसदों ने चुनावी रैलियों को शाहीन बाग़ में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में हो रहे धरना-प्रदर्शन को निशाना बनाने का ज़रिया बना लिया है। दिल्ली के शिक्षा, रोज़गार, पानी, बिजली के मुद्दों से हट कर यह मंत्री शाहीन बाग़ में प्रदर्शन कर रही महिलाओं और पुरुषों पर भद्दी टिप्पणियाँ का रहे हैं, उन्हें गालियाँ दे रहे हैं और जनता को इन शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ भड़काने का काम कर रहे हैं।
शाहीन बाग़ में क़रीब 45 दिन से विवादित नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ और संविधान पर हुए हमलों के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी है। दूसरी तरफ़, बीजेपी नेताओं ने इस प्रदर्शन को लगातार एक नाकारात्मक मुद्दा बना कर पेश करने की कोशिशें की हैं। 28 जनवरी को बीजेपी के सांसद परवेश वर्मा ने कहा, “शाहीन बाग़ में प्रदर्शन कर रहे लोग आपके घरों में घुसेंगे, आपकी बहन-बेटियों का बलात्कार करेंगे, उनकी हत्या करेंगे।” परवेश वर्मा ने इससे पहले कहा था कि 11 फरवरी को अगर बीजेपी की सरकार बनेगी तो वो 1 घंटे के अंदर शाहीन बाग़ को खाली करा देंगे। परवेश वर्मा यहीं नहीं रुकते। उन्होंने एक सभा में यह भी कहा था कि अगर बीजेपी की सरकार आती है तो वो 1 महीने के अंदर सरकारी ज़मीन पर बनी सारी मस्जिदों को हटा देंगे। सांसद के इस बयान से पहले केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपनी एक रैली में ‘देश के ग़द्दारों को’ गोली मारने के नारे लगवाए थे।
अनुराग ठाकुर रीठाला में एक रैली को संबोधित कर रहे थे जहाँ उन्होंने नारा लगवाया था, “देश के ग़द्दारों को, गोली मारो स*** को !” इस रैली में बीजेपी के केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी मौजूद थे।
परवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर को चुनाव आयोग ने नोटिस भेज दिया है और 30 जनवरी की शाम को वो उस पर सुनवाई करेगा। बीजेपी दिल्ली के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने एक लचर बयान देते हुए कहा, “गोली मारने के नारे नेता नहीं, जनता लगा रही थी।”
शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ टिप्पणी करने का यह सिलसिला नरेंद्र मोदी के उस बयान से शुरू हुआ था जब उन्होंने 15 दिसम्बर को कहा था, “आप प्रदर्शन करने वालों को उनके कपड़ों से देख कर पहचान सकते हैं।” ज़ाहिर बात है कि प्रधानमंत्री प्रदर्शन कर रहे लोगों में सिर्फ़ मुसलमानों को देख रहे थे, और अपने इस बयान से उन पर निशाना साध रहे थे।
न्यूज़क्लिक ने बीजेपी नेताओं के इन बयानों पर शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों से बात की। प्रदर्शनकारी रितु ने कहा, “बीजेपी को रोज़गार, शिक्षा, महिलाओं पर हो रही हिंसा के बारे में बात करनी चाहिए लेकिन यह तानाशाही सरकार इन जीवन से जुड़े मुद्दों को से ध्यान भटकाने के लिए ऐसी बयानबाज़ी कर रही है। यह नेता अपने पद की गरिमा को ख़ुद ख़राब कर रहे हैं।”
नरेंद्र मोदी, परवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर के बयानों के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने बाबरपुर की एक रैली में कहा था, “चुनाव में बीजेपी का बटन इतनी ज़ोर से दबाओ कि शाहीन बाग़ तक करेंट लगे।”
रितु ने अमित शाह के इस बयान पर कहा, “एक गृह मंत्री हैं, वो करेंट लगने जैसे बयान दे रहे हैं। आज शाहीन बाग़ प्रतीक बन गया है संवैधानिक प्रदर्शन का। यहाँ इस देश की माताएँ बैठी हैं, बहनें हैं। अमित शाह जी एक तरफ़ भारत माता की जय का नारा लगाते हैं। असली भारत माता यहाँ है। वो आज भारत माता को करेंट लगाने की बात कर रहे हैं।”
एनडीटीवी के डाटा के अनुसार 11 दिसम्बर यानी नागरिकता क़ानून पारित होने के बाद से बीजेपी की तरफ़ से हो रही नफ़रती बयानबाज़ी में 700% की बढ़ोतरी हुई है। एनडीटीवी के डाटा में बताया गया है कि 11 दिसम्बर से पहले 30 दिन में 3-4 नफरती बयान दिये जाते थे; इन बयानों की संख्या 11 दिसम्बर के बाद से 30 दिन में 25 हो गई है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में एक रैली के दौरान कहा था, “औरतें चौराहे पर हैं, और मर्द घर में सो रहे हैं। कितनी लज्जाजनक बात है!”
बीजेपी के इन बयानों पर प्रदर्शनकारी नुसरत आलम कहती हैं, “शाहीन बाग़ की महिलाएं कुछ ग़लत नहीं कर रही हैं। वो अपने हक़ की बात कर रही हैं। हम ऐसे बयान सुनते हैं तो तकलीफ़ होती है, कि सरकार की ऐसी कैफ़ियत है; उसे चाहिए कि वो ख़ुद ब ख़ुद अपनी कुर्सी छोड़े और साइड हो जाए। इनको जितने बयान देने हैं, जो करना है करें। हमें खदेड़ने के लिए आ जाएँ, लेकिन हम नहीं उठेंगे। बिना कुर्बानी के आज तक न इंकलाब आया है, न आएगा।”
नुसरत आलम ने आगे कहा, “यहाँ के प्रदर्शन का कोई नेता नहीं है। यह चुनाव का मामला नहीं है। वोट देना हमारा अधिकार है, हम जाएंगे अपना वोट देंगे। यह प्रदर्शन शांति के साथ चल रहा है और इसमें हर जगह महिला है।”
बीजेपी की यह नफ़रत भरी बयानबाज़ी सिर्फ़ दिल्ली या यूपी तक सीमित नहीं है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पिछले दिनों कहा था, “हल्द्वानी में सिर्फ़ हल्द्वानी के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। कोई बाहर से आएगा तो उसे उठा के फेंक दूंगा। यहाँ दूसरा शाहीन बाग़ नहीं बनने दूंगा।”
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने शहीन बाग़ को “तौहीन बाग़” और “दिशाहीन बाग़” की भी संज्ञा दे दी थी।
अपना नाम न बताने की शर्त पर एक अन्य पुरुष प्रदर्शनकारी ने कहा, “मैं योगी जी से पूछना चाहता हूँ कि वो शाहीन बाग़ का चरित्र साबित कर रहे हैं, या अपना चरित्र साबित कर रहे हैं। हम शान्तिप्रिय और गांधीवादी लोग हैं, हमारा चरित्र आपके जैसा नहीं है। सरकार के पास कुछ बोलने के लिए नहीं है, इसलिए वो हमें उकसा रहे हैं। भगवान न करे कि उनका आदर निरादर में बदल जाए।”
मध्यप्रदेश से आए दीपांशु ने कहा, “सरकार के किसी नुमाइंदे को यहाँ आ कर बात करनी चाहिए। वो तरह तरह की अफ़वाहें फैला रहे हैं, कि महिलाओं को 500 रुपये दिये जा रहे हैं। गृह मंत्री और मोदीजी बौखलाए हुए हैं, क्योंकि यहाँ सब कुछ शांतिपूर्ण तरीक़े से हो रहा है। यह बात सिर्फ़ सोशल मीडिया और नेशनल मीडिया नहीं, अंतर्राष्ट्रीय मीडिया भी दिखा रहा है। यहाँ हर धर्म की महिलाएं हैं। मेरी माँ ने कहा है, कि अगर पुलिस मुझे जेल भेज देगी, तो वो मेरे छोटे भाई को यहाँ भेज देंगी।”