1935 में सज्जाद ज़हीर और साथियों ने भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ का गठन किया था, हालांकि इसका बीज 1932 में सज्जाद ज़हीर, अहमद अली, डॉक्टर रशीद जहां और महमूद-उज़-ज़फर की लिखी किताब “अंगारे” से हो चुका था। यह समूह, अपने लेखन से सामाजिक समानता और न्याय की बातें करते हैं।
इससे जुड़े कुछ लेखकों में इस्मत चुग़ताई, गजानन माधव मुक्तिबोध, डॉ॰ अशरफ़, अली सरदार जाफरी, कृष्ण चन्दर, मुंशी प्रेमचंद, कैफ़ी आज़मी, वामिक जौनपुरी, मजाज़, कन्हैया लाल मुंशी आदि शामिल हैं।
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प्रगतिशील लेखक संघ के लेखकों के लेख का व्याख्यान करते हुए, संजय मुट्टू और समन हबीब ने “आसमा हिलता है जब गाते हैं हम” कार्यक्रम को रूप दिया, जो १३ अक्टूबर को स्टूडियो सफ़दर में आयोजित किया गया।
इस भाग में हम सुनेंगे 1941 में AIR लखनऊ में हुए मुशायरे के बारे में जिसे सुनने जोश मलिहाबादी जैसे मशहूर शक्सियात पहुंचे थे। मुशायरे में मजाज़, फैज़ अहमद फैज़, मुईन अहसन जज़्बी, मखदूम मोहिउद्दीन और अली सरदार जाफ़री जैसे नौउम्र तरक़्क़ीपसंद शायर शामिल थे।