सत्यमेव जयते
वो इंसॉं मुझको भाते हैं
जो ऐशो-तर्ब को ठुकरा कर
मज़लूमों के हो जाते हैं
और उन में खुद को बाँटते हैं
जिनकी नज़्में, ग़ज़लें, नग़में
रौशन तसवीरें, अफ़साने
रॉकेट, टीवी, सब ईजादें
बेपायाँ खुशियाँ देती हैं!
और लोग यहाँ हैं ऐसे भी
जिनकी फिक्रें और तख़्लीके़ं
सर-ता-सर बारूद भरी हैं
बिलकुल ऐटम बम जैसी हैं
ये दुनिया
प्यारी दुनिया
शोला-शोला हो जाएगी!!!
इससे पहले आओ लोगों!
हम अच्छों को तस्लीम करें
हम सच्चों को ताज़ीम करें
जब झूठ फ़ना हो जाता हैं
सच्चे बाक़ी रह जाते हैं!!!