माँ, मेरे लिए मत रोना
जब तुम मुझे देखने आयी
तुम्हारा चेहरा मैं नहीं देख सका था
फाइबर कांच की खिड़की से
मेरी अशक्त देह की झलक यदि मिली होगी तुम्हें
यक़ीन हो गया होगा
कि मैं जीवित हूँ अब भी।
माँ, घर में मेरी गैर मौजूदगी पर मत रोना
जब मैं घर और दुनिया में था,
कई दोस्त थे मेरे
जब मैं इस कारागार के अण्डा सेल में बंदी हूँ
पूरी दुनिया से
और अधिक मित्र मिले मुझे।
माँ, मेरे गिरते स्वास्थ्य के लिए उदास मत होना
बचपन में जब तुम
एक गिलास दूध नहीं दे पाती थी मुझे,
साहस और मजबूती शब्द पिलाती थीं तुम
दुख और तकलीफ के इस समय में
तुम्हारे पिलाये गये शब्दों से
मैं अब भी मजबूत हूँ।
माँ, अपनी उम्मीद मत छोड़ना
मैंने अहसास किया है
कि जेल मृत्यु नहीं है
ये मेरा पुनर्जन्म है
और मैं घर में
तुम्हारी उस गोद में लौटूंगा
जिसने उम्मीद और हौसले से मुझे पोषा है।
माँ, मेरी आजादी के लिए मत डरना
दुनिया को बता दो
मेरी आजादी खो गयी है
क्या उन सभी जन के लिए आजादी पायी जा सकती है
जो मेरे साथ खड़े हैं
धरती के दुख का कारण लाओ
जिसमें मेरी आजादी निहित है।
-जी एन साईबाबा
जेल में माँ से मुलाकात के बाद
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First published in Kractivism.