मेरे बचपन के दोस्त, मेरे प्यारे दोस्त
मेरे टिफिन को छीन जीभ से चाट जाने वाले दोस्त
मेरे आगाज, मेरे भाई
मेरे हर मौन विलाप को भांप जाने वाले भाई
मेरे प्रेमी, मेरे साथी
मेरी देह की परिधि को अपने स्नेह से नाप जाने वाले साथी
क्या तुम्हे मालूम है
कि जिस औरत के पाओं की धुल से तुम्हे अपने मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर बचाये रखने हैं
उस औरत की, और मेरी संरचना हूबहू एक जैसी है?
इससे पहले की मेरे पाओं भी
ऐसे किसी मठ में पड़ने की भूल करें
और मुझे देखना हो
तुम्हें उसके फर्श को रगड़-रगड़ साफ़ करते,
उसकी दीवारों से मेरा साया मिटाते
उसकी हवा से मेरी गंध को खींच बहार करते
लड़ते, मेरे मैले अस्तित्व से
मेरे दोस्त, मेरे साथी, मेरे भाई
मैं यह अपमान नहीं सह पाऊँगी,
चाहूंगी
की इससे बेहतर यह हो
गिर जाए हर देवालय की छत
और मिल जाये उस औरत के पाओं की धूल से
जिसे साफ़ करने तुम मुझे छोड़कर गए हो