• About Us
  • Contact Us
  • Copyright, Terms and Conditions
  • Events
  • Grievance Redressal Mechanism
  • Home
  • Login
Indian Cultural Forum
The Guftugu Collection
  • Features
    • Bol
    • Books
    • Free Verse
    • Ground Reality
    • Hum Sab Sahmat
    • Roundup
    • Sangama
    • Speaking Up
    • Waqt ki awaz
    • Women Speak
  • Conversations
  • Comment
  • Campaign
  • Videos
  • Resources
  • Contact Us
    • Grievance Redressal Mechanism
  • About Us
No Result
View All Result
  • Features
    • Bol
    • Books
    • Free Verse
    • Ground Reality
    • Hum Sab Sahmat
    • Roundup
    • Sangama
    • Speaking Up
    • Waqt ki awaz
    • Women Speak
  • Conversations
  • Comment
  • Campaign
  • Videos
  • Resources
  • Contact Us
    • Grievance Redressal Mechanism
  • About Us
No Result
View All Result
Indian Cultural Forum
No Result
View All Result
in Features, Speaking Up

इस ‘खोटे’ समय में एक ‘खरे’ कवि का जाना…

byन्यूज़क्लिक रिपोर्ट
September 24, 2018
Share on FacebookShare on Twitter
इस ‘खोटे’ समय में एक ‘खरे’ कवि का जाना…
फोटो : साभार

“एक दिन ऐसे जाऊंगा कि कोई मुझे देख नहीं पाएगा

और बिना पुकारे पता नहीं कहाँ से

वह झपटता हुआ तीर की तरह आएगा

पहचानता हुआ मुझे अपने साथ ले जाने के लिए”   – विष्णु खरे

और विष्णु खरे चले गए।

“एक ऐसा कवि जो गद्य को कविता की ऊँचाई तक ले जाता है और हम पाते हैं कि अरे, यह तो कविता है ! ऐसा वे जान-बूझकर करते हैं, कुछ इस तरह कि कविता बनती जाती है कि गद्य छूटता जाता है। पर शायद वह छूटता नहीं कविता में समा जाता है। …वे लम्बी कविताओं के कवि हैं जैसे मुक्तिबोध लम्बी कविताओं के कवि हैं पर दोनों में अन्तर है। मुक्तिबोध की लम्बाई लय के आधार को छोड़ती नहीं, धीरे-धीरे वह कम ज़रूर होती है। विष्णु खरे गद्य की पूरी ताकत को लिए-दिए चलते हैं, उसे तोड़ते-बिखेरते हुए, बीच-बीच में संवाद का सहारा लेते और जहाँ-तहाँ उसे डालते हुए चलते हैं और लय को न आने देते हुए। किसी चीज़ को शब्दों में जि़न्दा कर देना एक कवि की सिफत है और विष्णु खरे के पास वह जादू है ।” विष्णु खरे के लिए ये कथन एक दूसरे बड़े कवि केदारनाथ सिंह का है, जो इसी साल मार्च में हमारा साथ छोड़ गए। कवि-लेखक सुशील पुरी ने उनका ये कथन फेसबुक पर साझा किया।

विष्णु जी के जाने से पूरे हिन्दी जगत में शोक की लहर है। वे सिर्फ एक खरे कवि ही नहीं, बल्कि एक बेहतरीन अनुवादक, पत्रकार और शिक्षक भी रहे। जाना तो उनका सप्ताह भर पहले उसी दिन तय हो गया था जिस दिन उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ था। फिर भी उनके चाहने वाले उनके लौटने की प्रतीक्षा कर रहे थे। लेकिन ऐसा हो न सका। आज दोपहर बाद उनके निधन की खबर आई तो सोशल मीडिया पर उन्हें याद करने वाले, श्रद्धांजलि देने वालों का सैलाब सा आ गया। हर कोई उन्हें याद करते हुए उनकी कविताएं साझा कर रहा है। जन संस्कृति मंच, जनवादी लेखक संघ समेत सभी साहित्यिक-सांस्कृतिक संगठनों ने भी अपने शोक संदेश जारी किए हैं।

जनवादी लेखक संघ ने उनके निधन पर जारी अपने शोक संदेश में कहा है कि विष्णु खरे जी का जाना हिन्दी की साहित्यिक-बौद्धिक दुनिया के लिए बहुत गहरा आघात है। कई दिनों से दिल्ली के जीबी पन्त अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष में उनके भर्ती होने के कारण उनका निधन उनके सभी चाहनेवालों के लिए बहुत अप्रत्याशित तो न था, पर लगभग आठ दिन पहले उनकी भर्ती अवश्य अप्रत्याशित थी।

11 सितम्बर की देर रात किसी वक्त उन्हें ब्रेन-हेमरेज हुआ और दिल्ली में अकेले रहने की वजह से तत्काल कोई मदद नहीं मिल पायी। 12 सितम्बर को, हैमरेज के कई घंटों बाद, उन्हें अस्पताल में दाख़िल कराया गया जहां दिन बीतने के साथ उनकी हालत और गंभीर होती गयी। उनका मस्तिष्क अस्सी प्रतिशत नाकाम हो गया था और शरीर का बायाँ हिस्सा लकवाग्रस्त था। आज दिन के साढ़े तीन बजे उन्होंने पन्त अस्पताल में ही आख़िरी साँसें लीं।

9 फरवरी 1940 को छिन्दवाड़ा में जन्मे खरे जी हिन्दी के अप्रतिम कवि, अनुवादक और आलोचक थे। ‘एक ग़ैर-ज़रूरी रूमानी समय में’, ‘खुद अपनी आँख से’, ‘सबकी आवाज़ के परदे में’, ‘पिछ्ला बाक़ी’, ‘काल और अवधि के दरम्यान’, ‘लालटेन जलाना’ उनके प्रमुख कविता-संग्रह हैं। उनकी आलोचना-पुस्तक, ‘आलोचना की पहली किताब’, काफी चर्चित रही। लम्बे समय वे ‘पायनियर’ अखबार में अंग्रेज़ी में सिनेमा पर भी लिखते रहे जिन्हें एक बड़ा पाठक-वर्ग बहुत चाव से पढ़ता था। अनुवाद के क्षेत्र में उनका काम बहुत सराहनीय है। मात्र बीस वर्ष की उम्र में, 1960 में उन्होंने टी एस इलियट की कविताओं का अनुवाद किया जो ‘मरुप्रदेश और अन्य कविताएँ’ शीर्षक से प्रकाशित है। फ़िनलैंड का राष्ट्रीय काव्य ‘कालेवाला’, चेस्वाव मिवोश और शिम्बोर्स्का की कविताएँ, अत्तिला योज़ेफ़ की कविताएँ (‘यह चाकू समय’) और विश्व साहित्य की अन्य अनेक महत्वपूर्ण कृतियाँ विष्णु खरे के अनुवाद के माध्यम से हिन्दी में उपलब्ध हो पायीं। अखबार और वेबसाइट्स पर लिखी जानेवाली अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए भी वे खूब जाने जाते थे। उनकी अविचल सामाजिक प्रतिबद्धता, धर्मनिरपेक्ष-प्रगतिशील विश्व-दृष्टि, और जनविरोधी राजनीति के ख़िलाफ़ उनका ग़ुस्सा उनके हर तरह के लेखन में बहुत मुखर है।

खरे जी ने अभी-अभी हिन्दी अकादमी, दिल्ली के उपाध्यक्ष का पदभार सम्भाला था. उनके नेतृत्व में हिन्दी अकादमी को एक नया जीवन मिलने की उम्मीद हिन्दी के सभी गंभीर साहित्यकर्मियों को थी। ऐसे में उनका असमय निधन निश्चित रूप से एक बहुत बड़ी क्षति है।

“मुझे क्षमा करो

लेकिन आख़िर क्या मैं थोड़े से चैन किंचित शान्ति का भी हक़दार नहीं” -विष्णु खरे

विष्णु खरे को विनम्र श्रद्धांजलि।


 

First published in Newsclick.

Related Posts

Zwigato Director Nandita Das on Kapil Sharma, Censorship And More
Speaking Up

Zwigato Director Nandita Das on Kapil Sharma, Censorship And More

byNewsclick Team
When culture is hijacked and universities atrophy: The continuing relevance of Uddhavasta Dharmashala
Speaking Up

When culture is hijacked and universities atrophy: The continuing relevance of Uddhavasta Dharmashala

byDeepa Punjani
Significance of caste discrimination ban in Seattle
Speaking Up

Significance of caste discrimination ban in Seattle

byRia Chakrabarty

About Us
© 2023 Indian Cultural Forum | Copyright, Terms & Conditions | Creative Commons LicenseThis work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License
No Result
View All Result
  • Features
  • Bol
  • Books
  • Free Verse
  • Ground Reality
  • Hum Sab Sahmat
  • Roundup
  • Sangama
  • Speaking Up
  • Waqt ki awaz
  • Women Speak
  • Conversations
  • Comment
  • Campaign
  • The Guftugu Collection
  • Videos
  • Resources
  • About Us
  • Contact Us
  • Grievance Redressal Mechanism

© 2023 Indian Cultural Forum | Creative Commons LicenseThis work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Create New Account!

Fill the forms bellow to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In